मजदूरों को सम्मान, सुरक्षा और न्याय की मांग को लेकर देश में चल रही श्रमिक सम्मान यात्रा - विपुल पांड्या

श्रमिक सम्मान यात्रा: मजदूरों के हक और सुरक्षा की गूंज

पिंडवाड़ा , सिरोही: देशभर में श्रमिकों के सम्मान, सुरक्षा और न्याय की मांग को लेकर चल रही श्रमिक सम्मान यात्रा सोमवार को पिंडवाड़ा पहुंची, जहां पत्थर घड़ाई मजदूर सुरक्षा संघ ने यात्रियों का भव्य स्वागत किया। 

इस ऐतिहासिक यात्रा का उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों के लिए जागरूकता फैलाना और उनकी आवाज को सरकार तक पहुंचाना है।

संघ के अध्यक्ष सोहनलाल ने बताया कि यह यात्रा 24 जनवरी से 25 फरवरी तक वर्जिन पीपुल कोलेजन के बैनर तले चलाई जा रही है। दो भागों में बंटी इस यात्रा का एक दल कन्याकुमारी से दिल्ली और दूसरा पश्चिम बंगाल से दिल्ली की ओर बढ़ रहा है।

श्रमिकों के हक में उठ रही आवाज

यात्रा से जुड़े भंवरलाल ने श्रमिकों के अधिकारों पर जोर देते हुए मुख्य मांगें गिनाई—
✔️ न्यूनतम मासिक वेतन ₹26,000 हो
✔️ कार्यस्थल पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों
✔️ महिलाओं की सुरक्षा के लिए POCSO कमेटियां बनाई जाएं
✔️ सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा योजना लागू हो
✔️ स्ट्रीट वेंडर्स को व्यवस्थित जगह मिले
✔️ गिग वर्कर्स के लिए बने कानून प्रभावी रूप से लागू किए जाएं
✔️ जनजातीय समुदाय को उनके प्राकृतिक संसाधनों पर हक मिले



सिलिकोसिस से जूझते मजदूर, कब जागेगी सरकार?

पिंडवाड़ा में आयोजित श्रमिक सम्मेलन में 300 से अधिक मजदूरों ने भाग लिया। संघ के सचिव मदनलाल ने बताया कि पत्थर घड़ाई मजदूरों के लिए सिलिकोसिस एक जानलेवा बीमारी बन चुकी है, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही। युवा अवस्था में मजदूरों की मौत हो रही है और कार्यस्थल पर सुरक्षा इंतजाम नदारद हैं।

इसके अलावा, सिलिकोसिस प्रमाण पत्र जारी न होने और सरकार द्वारा पुनर्वास राशि नहीं मिलने की समस्या ने मजदूरों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। भाखर भीतरोड़ आदिवासी विकास मंच के लखमाराम ने बताया कि इस बीमारी की वजह से समाज में मजदूरों की शादी तक नहीं हो रही, जिससे उनका जीवन और भी दयनीय हो गया है।



मजदूरों को एकजुट होने का आह्वान

सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णावतार शर्मा ने कहा कि मजदूरों की एकजुटता ही उनकी ताकत है। उन्होंने बताया कि यह यात्रा दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को श्रमिकों की समस्याओं से अवगत कराएगी।

यात्रा से जुड़े धर्मचंद ने कहा कि देश के 40 करोड़ असंगठित मजदूरों को केवल वाजिब मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा और बुढ़ापे में पेंशन चाहिए, जो उनका हक है।

अरावली निर्माण मजदूर संघ के भंवरलाल ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा,
"सालों से मजदूर अपने हक के लिए लड़ रहे हैं, सरकारें आती-जाती हैं, वादे करती हैं, लेकिन बदलाव नहीं दिखता। हमें संगठित होकर अपनी लड़ाई को तेज करना होगा।"


उन्होंने सरकार से नरेगा में 200 दिन का काम और ₹800 दिहाड़ी करने की मांग की।


"आजादी की दूसरी लड़ाई" – विपुल पांड्या

यात्रा के संयोजक विपुल पांड्या ने श्रमिकों को संबोधित करते हुए कहा कि,
"मजदूरों के सम्मान की यह लड़ाई आजादी की दूसरी लड़ाई है। जब तक सरकार मजदूरों को उनका हक नहीं देती, संघर्ष जारी रहेगा।"

उन्होंने कहा कि पिंडवाड़ा जैसे छोटे इलाके में सिलिकोसिस से हो रही मौतें बेहद शर्मनाक हैं और सरकार को तुरंत इस दिशा में कदम उठाने होंगे।

प्रधानमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

सम्मेलन के अंत में श्रमिकों ने एक रैली निकाली और प्रधानमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी पिंडवाड़ा को ज्ञापन सौंपा




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