मलमास समाप्त, शुरु होंगे मांगलिक कार्य


 मलमास समाप्त, शुरु होंगे मांगलिक कार्य
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सूर्यदेव होंगे दक्षिणायन से उत्तरायण
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भीष्म पितामह ने रवि उत्तरायण होते ही छोडे थे प्राण और हुआ मोक्ष 
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मकर संक्रांति का पुण्यकाल दिनांक 14-01-2025 को प्रातः 07-31 से सायं 06-03 तक रहेगा।  
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सिरोही- 

 14-01-2025 को प्रातः 08-56 बजे सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते ही मलमास समाप्त होगा और मांगलिक कार्य शुरु होंगे।

      ज्योतिष एवं वास्तुविद् आचार्य प्रदीप दवे ने बताया कि मलमास मार्गशीर्ष पूर्णिमा रविवार दिनांक 15-12-2024 की रात्रि 10-11बजे से प्रारम्भ होकर माघ कृष्ण प्रतिपदा मंगलवार दिनांक 14-01-2025 को प्रातः 08-55 बजे तक मान्य होने तथा दिनांक 14-01-2025 को ही प्रातः 08-56 बजे सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते ही मलमास समाप्त होगा तथा देव प्रतिष्ठा, शादी-ब्याह, उपनयन संस्कार, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, वास्तु-मुहुर्त्त, वाहन क्रय, दस्तूर, मुंडन संस्कार आदि मांगलिक कार्य शुरु होंगे। 

क्या है मकर संक्रांति-


सूर्यदेव का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने को कहते है मकर संक्रांति।  सूर्य उपासना का पर्व है मकर संक्रांति। सूर्यदेव धनुराशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश करते ही मकर संक्रांति शुरु हो जाती है अर्थात् सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं और मलमास समाप्त हो जाता है। 
       इसी दिन भीष्म पितामह ने रवि उत्तरायण होते ही अपने प्राण त्यागे थे तथा उनका मोक्ष हो गया था। 
        सूर्यदेव का प्रत्येक बारह राशियों में एक-एक माह का भ्रमण रहता है। इस प्रकार मकर राशि में भी सूर्यदेव का भ्रमण एक मास रहता है अर्थात् 14-01-2025 से 12-02-2025 तक मकर संक्रांति काल रहेगा। 
     मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14-01-2025 को प्रातः 07-31 से सायं 06-03 तक रहेगा। 
      यह मकर संक्रांति पर्व लगभग संपूर्ण भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर्व को गुजरात में उत्तरायण, उत्तर प्रदेश में खिचडी, पंजाब व जम्मू-कश्मीर में लोहिडी, सिंधी समाज लाल लोही, आसाम में बिहुका तथा दक्षिण भारत में पोंगल के रुप में मनाते है। 
      मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी व तिल खाने का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन सूर्य की रोशनी शरीर पर गिरने तथा तिल खाने से रोगों का नाश होता है। 
        इस दिन तिल, तिल के व्यंजन, चावल, दाल, खिचड़ी आदि दान का विशेष महत्व है। 

आचार्य प्रदीप कुमार दवे
R.T.S.
ज्योतिष एवं वास्तुविद् 
सिरोही



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