13 जनवरी 2025 से शुरू होगा पवित्र संगम पर अद्भुत आध्यात्मिक आयोजन

☀️|| महाकुंभ मेला 2025 ||☀️
13 जनवरी 2025 से शुरू होगा पवित्र संगम पर अद्भुत आध्यात्मिक आयोजन

🔹 पवित्र स्नान से मिलती है मोक्ष की प्राप्ति
महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू होने जा रहा है। यह धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन दुनिया भर के श्रद्धालुओं को संगम के पवित्र तट पर आकर्षित करता है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान करने का महत्व हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। मान्यता है कि यहां स्नान और ध्यान से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है।

🔹 महाकुंभ मेले का शुभारंभ और शाही स्नान
इस ऐतिहासिक मेले का शुभारंभ 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के दिन होगा। यही दिन पहला शाही स्नान भी होगा। नागा साधु, जिन्हें हिंदू धर्म का सेनापति माना जाता है, शाही स्नान की अगुवाई करेंगे। महाशिवरात्रि, 26 फरवरी 2025 को अंतिम शाही स्नान के साथ इस महाकुंभ मेले का समापन होगा।

🔹 कुंभ मेले की पौराणिक मान्यता
कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अमृत मंथन के समय अमृत की बूंदें इन स्थानों पर गिरी थीं, जिससे ये स्थान पवित्र माने जाते हैं। कुंभ मेला 3 साल में एक बार, अर्धकुंभ मेला 6 साल में और पूर्ण कुंभ 12 साल में होता है। महाकुंभ का आयोजन 12 पूर्ण कुंभ मेलों के बाद होता है।

🔹 2025 में प्रयागराज का महत्व क्यों?
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, जब गुरु ग्रह वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं, तब कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में किया जाता है। इस बार भी ग्रहों की यह स्थिति 13 जनवरी को बन रही है।

🔹 शाही स्नान की तिथियां

13 जनवरी 2025: पौष पूर्णिमा

14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति

29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या

3 फरवरी 2025: वसंत पंचमी

12 फरवरी 2025: माघी पूर्णिमा

26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि (अंतिम शाही स्नान)


🔹 प्रयागराज संगम का महत्व
गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम तट आस्था और मोक्ष का प्रतीक है। यहां स्नान करने से आत्मा को शुद्धता और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है। इस बार मेले में लाखों श्रद्धालुओं और साधु-संतों के आने की संभावना है, जो इस आयोजन को और भी भव्य बनाएगा।

महाकुंभ मेला 2025 का यह आयोजन न केवल आध्यात्मिकता बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपराओं और भक्ति का प्रतीक है। इस भव्य आयोजन में शामिल होकर जीवन को पवित्र और आनंदमयी बनाने का अवसर न चूकें।

Post a Comment

Previous Post Next Post