लाभ पंचमी, जिसे सौभाग्य लाभ पंचम भी कहा जाता है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से गुजरात में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है और इसे दिवाली उत्सव के समापन का दिन माना जाता है। इस दिन का महत्व भाग्य की उन्नति और आर्थिक समृद्धि से जुड़ा है।
लाभ पंचमी का अर्थ है 'भाग्य की समृद्धि'। इस दिन की पूजा करने से जीवन में खुशहाली, सुख-संपत्ति, और व्यवसाय में उन्नति की कामना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं।
इस अवसर पर लोग विशेष रूप से नए व्यापार या दुकान की शुरुआत करते हैं। व्यवसायी इस दिन को अत्यंत शुभ मानते हैं और अपने नए उद्यम की नींव रखते हैं। इसे 'लाखनी पंचमी', 'ज्ञान पंचमी', और 'सौभाग्य पंचमी' के नाम से भी जाना जाता है।
लाभ पंचमी का पर्व हर साल भक्तों द्वारा बेसब्री से इंतजार किया जाता है, क्योंकि यह दिन न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामूहिक समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर पूजा करते हैं, फल और मिठाई का भोग लगाते हैं, और एक-दूसरे के साथ प्रसाद बांटते हैं।
इस प्रकार, लाभ पंचमी का पर्व सुख, समृद्धि और अच्छे भाग्य की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो हर साल लोगों को आशा और सकारात्मकता से भर देता है।