मामूली टेक्निकल आधार पर बीमा क्लेम खारिज किया जाना सेवादोष
सिरोही जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग सिरोही के अध्यक्ष अभिमन्यु सिंह राठौड व सदस्या मेहनाज सम्मा ने यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेन्स कंपनी को प्रार्थीया के बीमा क्लेम राशि 13.48.875 रूपये ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया।
प्रार्थीया मंगला कंवर का टैंकर दिनांक 15.10.2016 को 20 हजार HSD (High Speed Diesel) लेकर एस्सार रिफाईनरी से पालडी जिला सिरोही जा रहा था तभी गुजरात में सान्तपुर, वराहीरोड के बीच बागरी गांव पाटीया के पास किसी अन्य ट्रेलर के तेजगति से लापरवाहीपूर्वक चलाकर टक्कर मारने के कारण टैंकर पलटकर गढ्ढे में गिर गया एवं जलकर पूरे तरीके से खाक हो गया।
बीमा कंपनी द्वारा किए गए सर्वे में उसने माना कि यदि प्रार्थीया का बीमा क्लेम स्वीकार किया जाता है तो बीमा कंपनी की 17,98,500 रूपये देने की जिम्मेदारी बनती थी परन्तु बीमा कम्पनी ने यह राशि यह कहकर देने से मना कर दिया कि दुर्घटना के समय ड्राईवार विक्रमसिह के पास खतरनाक सामान ले जाने हेतु लाईसेन्स नहीं था।
आयोग ने माना कि विधि-निर्माताओं ने खतरनाक सामानों को ले जाने हेतु अलग से लाईसेन्स इसलिए आवश्यक किया है क्योंकि इस प्रकार के सामानों को सुरक्षित प्रकार से ले जाने के लिए एक विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है ताकि सामान ले जाते समय कोई दुर्घटना कारित न हो जाए। इस प्रकरण में स्पष्ट है कि ड्राईवर विक्रम सिंह ने दुर्घटना दिनांक से पहले कम-से-कम दो बार खतरनाक सामान को ट्रांसपोर्ट करने की ट्रेनिंग ली है। साथ ही विक्रम सिंह के पास पूर्व में भी खतरनाक सामान ले जाने का अधिकार-पत्र था। इसलिए बीमा कम्पनी को यह देखना चाहिए था कि ड्राईवर विक्रम सिंह खतरनाक समान को ले जाने हेतु एक अनुभवी एवं योग्य व्यक्ति है साथ ही दुर्घटना में ड्राईवर विक्रमसिंह की कोई गलती नहीं थी, अतः बीमा कंपनी द्वारा "ड्राईवर विक्रम सिंह ने समय पर लाईसेन्स को रिन्यु नहीं करवाया" जैसे टेक्निकल कारण बीमा पर बीमा क्लेम पूर्ण रूप से खारिज कर देना उचित नहीं है। बीमा कंपनी को प्रार्थीया के बीमा क्लेम को कम-से-कम नॉन-स्टेण्डर्ड बेसिस पर स्वीकार कर 17,98,500 रूपये की 75 प्रतिशत अदा करनी चाहिए थी।
अतः आयोग ने बीमा कंपनी को बीमा क्लेम की 75 प्रतिशत राशि अर्थात 13,48,875 रूपये ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया। साथ ही परिवादिया को मानसिक व शारीरिक पीड़ा हेतु 30,000/- रूपये व परिवाद व्यय हेतु 10,000/- रूपये 2 माह के भीतर अदा करने का आदेश दिया।