अकाल मृत्यु नाश करने वाला महापर्व महाशिवरात्रि

अकाल मृत्यु नाश करने वाला महापर्व महाशिवरात्रि

भगवान शिव के हलाहल पान का दिव्य पर्व, भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक

सिरोही। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि पर्व इस वर्ष 26 फरवरी 2025, बुधवार को श्रद्धा और भक्तिभाव से मनाया जाएगा। ज्योतिष एवं वास्तुविद् आचार्य प्रदीप कुमार दवे के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष का पान किया था और "मृत्युंजय" कहलाए।

रात्रि जागरण की परंपरा का आधार

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया, तो उनके भक्तों को चिंता हुई कि विष के प्रभाव से भगवान को कोई क्षति न हो। इसलिए भक्तों ने पूरी रात जागकर ढोल-नगाड़े बजाए, जलाभिषेक किया और भजन-कीर्तन किया ताकि भगवान शिव सो न सकें। यह परंपरा आज भी शिवरात्रि के रात्रि जागरण के रूप में जारी है।

पूजन विधि और अभिषेक नियम

  • सर्वप्रथम भगवान गणेश का स्मरण कर शिवलिंग पर 108 बार "ॐ नमः शिवाय" मंत्रोच्चार के साथ गंगाजल से अभिषेक करें
  • इसके बाद शुद्ध वस्त्र से पोंछकर त्रिपुंड लगाएं और सौभाग्यवर्धक द्रव्य चढ़ाएं।
  • सुगंधित पुष्प एवं बिल्वपत्र अर्पित कर भगवान का श्रृंगार करें, फिर आरती कर प्रसाद अर्पित करें।
  • महिलाओं को "नमः शिवाय" मंत्र का जाप करने का विशेष विधान बताया गया है।

रात्रि जागरण एवं मंत्र जाप का विशेष महत्व

निशीथ काल (रात्रि 9:00 बजे से 3:00 बजे तक) में "ॐ नमः शिवाय" का जाप करने से समस्त प्रकार की व्याधियों का नाश होता है, अकाल मृत्यु टलती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

दूध एवं शहद के प्रयोग में विशेष सावधानी

  • बछड़े को तृप्त करने से पहले निकाले गए दूध से अभिषेक वर्जित माना गया है।
  • पूजा में केवल स्वाभाविक रूप से उपलब्ध शहद ही स्वीकार्य होता है, जब मधुमक्खियां स्वयं छत्ता छोड़ दें।

व्रत एवं उपवास नियम

शिवरात्रि उपवास का उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना है। व्रत के दौरान:
पान, अधिक बोलना, क्रोध, दिन में सोना, पराए अन्न का सेवन वर्जित है।
ऋतु फल, कंदमूल (आलू, शकरकंद, अरबी, रतालू), दवाइयां और भगवान का प्रसाद ग्रहण किया जा सकता है।

महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक संदेश

यह पावन पर्व न केवल शिवभक्तों के लिए, बल्कि समस्त संसार के लिए आत्मशुद्धि, ध्यान और भक्ति का संदेश देता है। जो भी श्रद्धालु इस दिन सच्चे मन से उपवास एवं रात्रि जागरण करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और जीवन में सफलता एवं सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

(आचार्य प्रदीप कुमार दवे, R.T.S., ज्योतिष एवं वास्तुविद्, सिरोही, मो. 94142-91287)

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